
Ashok Mushroof
@amushroof
कवि,लेखक,विचारक
ID: 1073086574294900736
13-12-2018 05:25:51
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कई बार चली थी रुक रुक कर , आवाज़ उसे नहीं आई थी बात तुम्हारी बिल्कुल झूठी है,कि मैंने शायद एक लगाई थी छोड़ छाड़कर चली गई सब ,कहीं न कहीं ठौर पा जाएगी होगी किस्मत मिट्टी में मिलना,तो मिट्टी में भी मिल जाएगी.... #अशोक_मसरूफ़ छोटी कविता





धर्मेन्द्र पालीवाल किसी को उसके जैसा जहां में ढूँढ़े से भी न मिला जैसे तुझको वो न मिला वैसे ही उसको भी तू न मिला..










#दुआएं अपने दिल की सारी,'मसरूफ़'आज निस्बतों पर लुटा दे है दुआ की तासीर दरमां से भी ज्यादा,ये तू दुनिया को दिखा दे निस्बत-संबंध । तासीर-प्रभाव दरमां-दवा #अशोक_मसरूफ़ छोटी कविता