Dipti Misra (@dipti1511) 's Twitter Profile
Dipti Misra

@dipti1511

Actor, Writer & Poet

ID: 142190272

linkhttp://www.diptimisra.com/ calendar_today10-05-2010 06:25:27

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प्रेम मेरा-गूँगे का गुड़ तुम्हारा-लाउड स्पीकर मेरा-किसी किशोरी की डायरी तुम्हारा-चौराहे पर लगा इश्तिहार मेरा-अनंत तुम्हारा-सिर्फ़ एक नम्बर मेरा-आत्मिक सुख तुम्हारा-प्रेस्टिज ईशू मेरा-बेजह तुम्हारा-एक्सपेरीमेंट दो विपरीत ध्रुव फिर भी युक्त तुम-बन्दी मैं-मुक्त !! #दीप्ति_मिश्र✍️

प्रेम

मेरा-गूँगे का गुड़
तुम्हारा-लाउड स्पीकर
मेरा-किसी किशोरी की डायरी
तुम्हारा-चौराहे पर लगा इश्तिहार
मेरा-अनंत
तुम्हारा-सिर्फ़ एक नम्बर
मेरा-आत्मिक सुख
तुम्हारा-प्रेस्टिज ईशू
मेरा-बेजह
तुम्हारा-एक्सपेरीमेंट
दो विपरीत ध्रुव
फिर भी युक्त
तुम-बन्दी
मैं-मुक्त !!

#दीप्ति_मिश्र✍️
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माँ हथेलीपर मिश्री की डली एक सिक्का और गुडिमुडी नोट धरकर यूँ निहारती थीं जैसे पहलीबार बिटिया बिदा होरही हो! इस बार तुम्हे बिदा करके जा रही हूँ! नही,मेरामाथा सूना नही है! तेरहिं की पूजाके बाद जब पंडितजी ने कलावा बाँधा था तब खुदही पूजाकी थाली से रोली ले माथे पर... #दीप्तिमिश्रा ↕️

माँ
हथेलीपर मिश्री की डली
एक सिक्का और गुडिमुडी
नोट धरकर यूँ निहारती थीं
जैसे पहलीबार
बिटिया बिदा होरही हो!

इस बार
तुम्हे बिदा करके जा रही हूँ!
नही,मेरामाथा सूना नही है!
तेरहिं की पूजाके बाद
जब पंडितजी ने कलावा बाँधा था
तब खुदही पूजाकी थाली से
रोली ले माथे पर...
#दीप्तिमिश्रा ↕️
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तुम्हें किसने कहा था तुम मुझे चाहो,बताओ तो जो दमभरते हो चाहत का,तो चाहतको निभाओ तो दिए जातेहो ये धमकी गया तो फिर न आऊँगा कहाँसे आओगे पहले मेरी दुनिया से जाओ तो मेरी चाहतभी है तुमको,और अपना घरभी प्यारा है निपट लूँगी मै हरग़म से,तुम अपनाघर बचाओ तो ("है तो है से") #दीप्ति_मिश्रा↕️

तुम्हें किसने कहा था तुम मुझे चाहो,बताओ तो
जो दमभरते हो चाहत का,तो चाहतको निभाओ तो

दिए जातेहो ये धमकी गया तो फिर न आऊँगा
कहाँसे आओगे पहले मेरी दुनिया से जाओ तो

मेरी चाहतभी है तुमको,और अपना घरभी प्यारा है
निपट लूँगी मै हरग़म से,तुम अपनाघर बचाओ तो
("है तो है से")
#दीप्ति_मिश्रा↕️
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न ख़ुशियों की चाहत न ग़म से अदावत, किसी भी तरह का भरम ही नहीं है! अजब सी डगर है अजब सा सफ़र है, ज़मीं से चले आस्मॉं आ गया क्या ? ~दीप्ति मिश्र Dipti Misra

न ख़ुशियों की चाहत न ग़म से अदावत,
किसी भी तरह का भरम ही नहीं है!
अजब सी डगर है अजब सा सफ़र है,
ज़मीं से चले आस्मॉं आ गया क्या ?

~दीप्ति मिश्र
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सवाल ये है, सवाल क्या है ? कि उलझनों का ये जाल क्या है? न उसको खोया,न उसको पाया तो बेसबब ये मलाल क्या है? तुम्हारी चाहत की क़ैद से अब तुम्हीं बता दो निकाल क्या है? मैं किससे पूछूँ , किसे पता है उरूज क्या है? ज़वाल क्या है? ~दीप्ति मिश्रा✍️ Dipti Misra ↕️

सवाल  ये  है, सवाल  क्या है ?
कि उलझनों का ये जाल क्या है?

न उसको खोया,न उसको पाया
तो  बेसबब  ये मलाल  क्या  है?

तुम्हारी चाहत की क़ैद से अब
तुम्हीं बता  दो  निकाल क्या है?

मैं किससे पूछूँ , किसे पता है
उरूज क्या है? ज़वाल क्या है?

~दीप्ति मिश्रा✍️
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क्या बताऊँ मैं ,कहाँ मेरा ख़ुदा है मेरे भीतर है मगर मुझसे जुदा है ना कोई सूरत न कोई नाम है वो नक़्श उसका फिर भी हर शै पे खुदा है कर सको महसूस तो महसूस कर लो वो है वो अहसास जो सबसे जुदा है बात छोटी सी समझ पाओ तो समझो ख़ुद से ख़ुद जो आ मिले ख़ुद में ख़ुदा है #दीप्ति_मिश्र ✍️↕️

क्या बताऊँ मैं ,कहाँ मेरा ख़ुदा है
मेरे भीतर है मगर मुझसे जुदा है

ना कोई सूरत न कोई नाम है वो
नक़्श उसका फिर भी हर शै  पे खुदा है

कर सको महसूस तो महसूस कर लो
वो है वो अहसास जो सबसे जुदा है

बात छोटी सी समझ पाओ तो समझो
ख़ुद से ख़ुद जो आ मिले ख़ुद में ख़ुदा है

#दीप्ति_मिश्र ✍️↕️
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हम बुरे हैं अगर तो बुरे ही भले अच्छा बनने का कोई इरादा नहीं साथ लिक्खा है तो साथ निभ जाएगा अब निभाने का कोई भी वादा नहीं क्या सही क्या ग़लत,सोच का फेर है एक नज़रिया है ये जो बदलता भी है एक सिक्के के दो पहलुओं की तरह फ़र्क सच-झूठ मे कुछ ज़ियादा नही ("है तो है"से) #दीप्ति_मिश्रा↕️

हम बुरे हैं अगर तो बुरे ही भले
अच्छा बनने का कोई इरादा नहीं
साथ लिक्खा है तो साथ निभ जाएगा
अब निभाने का कोई भी वादा नहीं

क्या सही क्या ग़लत,सोच का फेर है
एक नज़रिया है ये जो बदलता भी है
एक सिक्के के दो पहलुओं की तरह
फ़र्क सच-झूठ मे कुछ ज़ियादा नही
("है तो है"से)
#दीप्ति_मिश्रा↕️
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•इबादत• जब भी तुम्हें देखती हूँ देख ही नहीं पाती कमबख़्त आँसू सब धुँधला देते हैं ! ~दीप्ति मिश्र Dipti Misra

•इबादत•

जब भी तुम्हें देखती हूँ
देख ही नहीं पाती
कमबख़्त आँसू
सब धुँधला देते हैं !

~दीप्ति मिश्र
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•बचपना• वो- चॉकलेट नहीं खाता था ये- हल्दी वाला दूध नहीं पीती थी उसने- इसके लिए चॉकलेट खाई इसने- उसके लिए हल्दी वाला दूध पिया और दोनों की दोस्ती पक्की हो गई! ~दीप्ति मिश्र Dipti Misra

•बचपना•

वो-
चॉकलेट नहीं खाता था 
ये-
हल्दी वाला दूध नहीं पीती थी 
उसने-
इसके लिए चॉकलेट खाई 
इसने-
उसके लिए हल्दी वाला दूध पिया 
और 
दोनों की दोस्ती पक्की हो गई!

~दीप्ति मिश्र 
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: हमारा मिलना-बिछड़ना देह के बंधन से मुक्त है !! ~दीप्ति मिश्र Dipti Misra ↕️ #महिला_शायर #Judai #Shair

:
हमारा मिलना-बिछड़ना
देह के बंधन से मुक्त है !!

~दीप्ति मिश्र
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#Judai #Shair
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•कवि• लो, ये तुम्हारे लिए मेरे लिए? हाँ,तुम्हारे लिए पर इस पर तो, मेरा नाम भी नहीं लिखा... लिखा है! कहाँ? हर शब्द में !!!! ~दीप्ति मिश्र Dipti Misra

•कवि•

लो, ये तुम्हारे लिए
मेरे लिए?
हाँ,तुम्हारे लिए
पर इस पर तो,
मेरा नाम भी नहीं लिखा...
लिखा है!
कहाँ?
हर शब्द में !!!!

~दीप्ति मिश्र
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उसने जबसे मन को पढ़ना सीख लिया हमने भी काग़ज़ पर लिखना छोड़ दिया। अपने मन के भेद से ख़ुद अनजान थे भेद हमारा उसने हम पर खोल दिया। उसने कहा जब प्रेम,चरित से ऊपर है उसने कहा और हमने कहना मान लिया। इससे ज़ियादा और वफ़ा हम क्या करते उसकी ख़ातिर,हमने उसको छोड़ दिया। #दीप्ति_मिश्र↕️

उसने जबसे मन को पढ़ना सीख लिया
हमने भी काग़ज़ पर लिखना छोड़ दिया।

अपने मन के भेद से ख़ुद अनजान थे
भेद हमारा उसने हम पर खोल दिया।

उसने कहा जब प्रेम,चरित से ऊपर है
उसने कहा और हमने कहना मान लिया।

इससे ज़ियादा और वफ़ा हम क्या करते
उसकी ख़ातिर,हमने उसको छोड़ दिया।

#दीप्ति_मिश्र↕️
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तुम्हारे झूठ को ही सच मैं अक्सर मान लेती हूँ मगर क्याकुछ तुम्हारे दिल में है ये जान लेती हूँ मुझे छलनेकी ख़ातिर बेसबब चोले बदलते हो किसीभी रूप में हो तुम,तुम्हें पहचान लेती हूँ तुम्हे किसने कहाहै भीख मे मुझको मोहोब्बत दो किसी का भी,कभीभी मैं कहाँ अहसान लेती हूँ #दीप्ति_मिश्र↕️

तुम्हारे झूठ को ही सच मैं अक्सर मान लेती हूँ
मगर क्याकुछ तुम्हारे दिल में है ये जान लेती हूँ

मुझे छलनेकी ख़ातिर बेसबब चोले बदलते हो
किसीभी रूप में हो तुम,तुम्हें पहचान लेती हूँ

तुम्हे किसने कहाहै भीख मे मुझको मोहोब्बत दो
किसी का भी,कभीभी मैं कहाँ अहसान लेती हूँ

#दीप्ति_मिश्र↕️
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जब रूह में कोई आन बसे,तो प्यार नहीं कुछ और भी है जब मीरा से घनश्याम मिले,तो प्यार नहीं कुछ और भी है ~दीप्ति मिश्र Dipti Misra #Jeem (J,ज) #Shair

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दूर थे और दूर हैं हर दम ज़मीन-ओ-आसमाँ दूरियों के बा'द भी दोनों में क़ुर्बत है तो है ~दीप्ति मिश्रा Dipti Misra #Dal (D) #Shai

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•अनवरत• सुनती नहीं, पीती हूँ मैं ओक में भर, घूँट-घूँट तुम्हारी वाणी को ! •••• तृप्त होने से ठीक पहले बन्द कर लेती हूँ अपने को ताकि अतृप्ति बनी रहे ! सिलसिला चलता रहे !! ~दीप्ति मिश्र Dipti Misra

•अनवरत•

सुनती नहीं, पीती हूँ मैं
ओक में भर, घूँट-घूँट
तुम्हारी वाणी को !
••••
तृप्त होने से ठीक पहले
बन्द कर लेती हूँ अपने को
ताकि अतृप्ति बनी रहे !
सिलसिला चलता रहे !!

~दीप्ति मिश्र
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या तो ये पीड़ा घुटन,और ये व्यथाएं छीन लो। या कि मुझसे तुम मेरी संवेदनाएं छीन लो। है तिमिर गहरा बहुत, तुम अब तो सूरज बन उगो या सुबह होगी कभी, ये वंचनाएं छीन लो। क्या सही है,क्या गलत,तुम अब तो कर दो फैसला या करो अब मुक्त मन को वर्जनाएं छीन लो। ~दीप्ति मिश्रा✍️ Dipti Misra ↕️

या तो ये पीड़ा घुटन,और ये व्यथाएं छीन लो।
या कि मुझसे तुम मेरी संवेदनाएं छीन लो।

है तिमिर गहरा बहुत, तुम अब तो सूरज बन उगो
या सुबह होगी कभी, ये वंचनाएं छीन लो।

क्या सही है,क्या गलत,तुम अब तो कर दो
फैसला
या करो अब मुक्त मन को वर्जनाएं छीन लो।

~दीप्ति मिश्रा✍️
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दुखती रग पर उँगली रखकर पूछ रहे हो कैसी हो तुमसे ये उम्मीद नहीं थी दुनिया चाहे जैसी हो एक तरफ़ मैं बिल्कुल तन्हा एक तरफ़ दुनिया सारी अब तो जंग छिड़ेगी खुलकर ऐसी हो या वैसी हो जलते रहना चलते रहना तो उसकी मज़बूरी है सूरज ने ये कब चाहा था उसकी क़िस्मत ऐसी हो ~दीप्ति मिश्रा

दुखती रग पर उँगली रखकर पूछ रहे हो कैसी हो
तुमसे ये उम्मीद नहीं थी दुनिया चाहे जैसी हो

एक तरफ़ मैं बिल्कुल तन्हा एक तरफ़ दुनिया सारी
अब तो जंग छिड़ेगी खुलकर ऐसी हो या वैसी हो

जलते रहना चलते रहना तो उसकी मज़बूरी है
सूरज ने ये कब चाहा था उसकी क़िस्मत ऐसी हो

~दीप्ति मिश्रा
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वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है ये अगर रस्मों रिवाजों से बग़ावत है तो है सच को मैं ने सच कहा जब कह दिया तो कह दिया अब ज़माने की नज़र में ये हिमाक़त है तो है ("है तो है": संग्रह से) ~ दिप्ती मिश्रा Dipti Misra सुनिए 🎤↕️🎧 facebook.com/share/v/16Ae37…

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#diptimisra तो ? रुच-रुच कर घर झाड़-बुहार दिया रसभरी-रसोईं कर ली सुन्दर सी चौक भी पूर दी स्वागत की सारी तैयारी के साथ भरा-भरा मन लिये सोच रही हूँ अगर तुम सिर्फ़ वादा निभाने आए तो ? ~दीप्ति मिश्र (16.10.2023)

#diptimisra 

तो ?

रुच-रुच कर
घर झाड़-बुहार दिया
रसभरी-रसोईं कर ली
सुन्दर सी चौक भी पूर दी
स्वागत की सारी 
तैयारी के साथ
भरा-भरा मन लिये
सोच रही हूँ
अगर तुम 
सिर्फ़ वादा निभाने आए 
तो ?

~दीप्ति मिश्र
(16.10.2023)