शाम की मुस्कुराहट और सुबह की सनसनी... पत्रकारिता और दोस्ती ने चौंका दिया है।
"थार और नागौर की अपनायत" 💔
"TRP के चक्कर में ज़मीर भी बिक जाता है,
सच हो या झूठ, बस मसाला लगाया जाता है।"
मीडिया की ये दौर-दौड़ इंसानियत और भरोसे को भी पीछे छोड़ देती है।
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