Pushpa ( पुष्प)
@pushpa64074928
लेखिका
ID: 1381120562261417991
11-04-2021 05:43:11
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सरस (काव्य समूह) सागर ( सरस ) कभी कभी मन कितना भरा होता है शब्दों से, जैसे कोई सागर उमड़ता, बेचैन सा, व्याकुल सा बहुत कुछ कहने के लिए, मगर वो किनारा, वो सही इंसान नही मिलता जिससे सब कुछ कह पाएं,जिससे कुछ न छिपे, जो आंखे भी पढ़े, और जो अनकहे शब्दों को भी सुन ले, #सरस 💐💐💐 (1/2)
Pushpa ( पुष्प) आपकी कविता में अनंत प्रेम और सब्र की जो गहराई है, वह मन को छू गई! शांत नदी और सागर का मिलन एक बहुत ही खूबसूरत रूपक है।" वाह बेहतरीन🙏🏼🙏🏼🙏🏼 शुभ प्रभात 💐🏵️🏵️🏵️