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A journalist here to unravel the craft of political language—engineered to cloak lies in truth, dignify violence, and lend weight to empty air.

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calendar_today19-11-2024 07:13:31

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रिपोर्टर की प्रार्थना (आज का काम शुरू करने से पहले) सभी संतजन हिस्ट्रीशीटरों को प्रणाम! परोपकारिता के पर्याय सभी भ्रष्टाचारियों को प्रणाम, सभी देवतुल्य हत्यारों को प्रणाम!

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यह वीडियो राजस्थान के वरिष्ठ राजनेता भरतसिंह कुंदनपुर पर केंद्रित है; एक ऐसे जननेता, जिनकी राजनीतिक समझ जितनी गहरी थी, उनकी नैतिक आभा और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता उतनी ही विलक्षण थी। वे अपने सादगीपूर्ण स्वभाव, सुलझे हुए विचार और जनहित के प्रति अडिग प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते

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ऐसे वक़ील भी हैं, जो पत्नी को उठाकर ले जाने वाले गुंडों और अपराधियों पर जूता निकाल कर न मार पाते हैं और न पत्नी का बचाव कर पाते हैं और ऐसा बार-बार होने देते हैं; लेकिन सीजेआई पर जूता फेंक कर मारते हैं! यह वही बीमार मानसिकता है, जिसमें एक हत्यारा न किसी भगतसिंह-सुखदेव या राजगुरु

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अपने देश का मुसलमान नहीं भाता, बाक़ी तो अपना दिल तालिबानियों पर भी फ़िदा है!

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अग्निपथ का प्रतिबिंब : राजेन्द्र राठौड़ की दृष्टि में जनपथ भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ को भले 97 पर साँप ने डस लिया हो; लेकिन सँपेरों के कुनबे के किसी उच्चाकांक्षी बीनबाज़ को यह उपालंभ देने का अधिकार तो नहीं है। अलबत्ता, सियासत का यह पुराना सँपेरा अपनी अलग धज रखता है। लेकिन यह

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पुस्तक, लेखक और संघर्ष : सतीश पूनिया की आत्मकथा का अप्रकाशित पक्ष “अग्निपथ नहीं जनपथ” किसी दस्तावेज़ की तरह नहीं, किसी आत्मा के संक्षिप्त जीवनवृत्त की तरह खुलती है; जैसे कोई अपने ही अतीत को सूखे पत्तों में ढूँढ़ता हो। इसमें पृष्ठ दर पृष्ठ सिर्फ़ घटनाएँ नहीं हैं। यह राजस्थान

पुस्तक, लेखक और संघर्ष : सतीश पूनिया की आत्मकथा का अप्रकाशित पक्ष

“अग्निपथ नहीं जनपथ” किसी दस्तावेज़ की तरह नहीं, किसी आत्मा के संक्षिप्त जीवनवृत्त की तरह खुलती है; जैसे कोई अपने ही अतीत को सूखे पत्तों में ढूँढ़ता हो।

इसमें पृष्ठ दर पृष्ठ सिर्फ़ घटनाएँ नहीं हैं। यह राजस्थान
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काँग्रेस के सीनियर नेताओं के ट्वीट से जानकारी मिल रही है कि पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोविंदराम मेघवाल पर जालौर में ख़तरनाक़ हमला हुआ है। उनकी कार रोकी गई और ड्राइवर केसाथ भी मारपीट की गई। यह हिंसक घटना बहुत गंभीर है। मेघवाल काफी संजीदा इन्सान हैं और झगड़ालू

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#अन्ता_उपचुनाव में कौन होगा भाजपा का उम्मीदवार ? Watch Full Video: youtu.be/V1hZtzXX-DQ?si… #nareshmeena #rajasthanpolitics #breakingnews #AntaByElection #Rajasthan #Jaipur #AntaByElection #antabyelection2025 #Election #Rajasthan Naresh Meena

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मुख्यमंत्री, उपराष्ट्रपति और आधुनिकतावादी सोच के सुयोग्य प्रतिनिधि रहे भैरोसिंह शेखावत के नाम के साथ एक घटिया सड़क को चिपकाने का आग्रह क्या वाक़ई सही है? क्या यह बहुत हल्की टोपोनिमी नहीं है? ख़ासकर इसलिए कि शेखावत की छवि नभस्पर्शी थी, इसलिए। और इसलिए भी कि उनके समकक्ष तीन

मुख्यमंत्री, उपराष्ट्रपति और आधुनिकतावादी सोच के सुयोग्य प्रतिनिधि रहे भैरोसिंह शेखावत के नाम के साथ एक घटिया सड़क को चिपकाने का आग्रह क्या वाक़ई सही है? 

क्या यह बहुत हल्की टोपोनिमी नहीं है? ख़ासकर इसलिए कि शेखावत की छवि नभस्पर्शी थी, इसलिए। और इसलिए भी कि उनके समकक्ष तीन
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मुख्यमंत्री, उपराष्ट्रपति और आधुनिकतावादी सोच के सुयोग्य प्रतिनिधि रहे भैरोसिंह शेखावत के नाम के साथ एक घटिया सड़क को चिपकाने का आग्रह क्या वाक़ई सही है? क्या यह बहुत हल्की टोपोनिमी नहीं है? ख़ासकर इसलिए कि शेखावत की छवि नभस्पर्शी थी। शेखावत साहब के समकक्ष तीन बड़े नेताओं

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इस तरह की सड़कों के लिए जिम्मेदार जनप्रतिनिधि को जेल भेजा जाना चाहिए। इस तरह की जानलेवा लापरवाहियाँ अपराध हैं और इसके लिए भारतीय दंड संहिता में प्रावधान हैं। संबंधित जनप्रतिनिधि के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज़ हो सकता है।

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दीपावली का समय है और बिजली है कि देखने को भी नहींं आ रही। सुबह बच्चों को स्कूल जाना होता है। लोगों को ऑफ़िस जाना होता है। घरों पर बीस काम होते हैं। कह रहे थे कि चौबीस घंटे बिजली देंगे। घंटे शायद ग़लती से बोल दिया। मिनट बोला होगा। हमारे भी कान क्या का क्या सुन लेते हैं!

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सुबह-सुबह किचन से आवाज़ आ रही थी : देश की नीतियों में भी अब क्लास डिवीज़न का फ़र्स्ट एसी वर्ज़न आ गया है; जिनके पास टिकट है, उन्हें ब्रेड रोल रैपर सहित हेल्थ मिलेगा। बाकी को बस धुआँ और घोषणा सुननी है। खातीपुरा स्टेशन हो या देश; हर जगह फ़र्स्ट एसी वालों की ही वेलनेस प्राथमिकता

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अशोक जी ठीक कह रहे हैं। उनका उम्मीदवार दमख़म के साथ उतर चुका है। लेकिन बड़े संतों के घर बड़ा बखेड़ा चल रहा है। प्रभुलाल सैनी अच्छे कैंडीडेट थे। लेकिन उनकी तत्काल घोषणा न होना इस बात का संकेत हैं कि या तो भाजपा कुछ विस्मयकारी करने की कोशिश में है या फिर मामला जटिल हो गया है।

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जिसने जीवन में कभी क्लास मॉनिटर का चुनाव भी न लड़ा हो, वैसे लोगों को कभी भी टेबल टॉक में नहीं बैठना चाहिए। यह एक अलग क्राफ़्ट है, इसके लिए डेलिकेसी, फ़्लेक्सबिलिटी और लोकल विज़डम दरकार है। यहां 5 साल तक जनता के आगे नमस्कार-नमस्कार करते लोग हलकान होते रहते हैं, और चिरकुटों की