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Kalamshala

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साहित्य, समाज और संस्कृति.....

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जिन मुश्किलों में मुस्कुराना हो मना, उन मुश्किलों में मुस्कुराना धर्म है। . गोपालदास "नीरज" ❤️🌻

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कहाँ की दोस्ती किन दोस्तों की बात करते हो मियाँ दुश्मन नहीं मिलता कोई अब तो ठिकाने का वसीम बरेलवी 🌻

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तुझ से बढ़ कर कोई प्यारा भी नहीं हो सकता पर तिरा साथ गवारा भी नहीं हो सकता . सलीम कौसर 🌻

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हमने भी सोकर देखा है नए-पुराने शहरों में जैसा भी है अपने घर का बिस्तर अच्छा लगता है। . निदा फ़ाज़ली ❤️🌻

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यहाँ हर मोड़ पर इक रहनुमा बैठा मिलेगा, मुसाफ़िर को कहाँ फिर भी सही रस्ता मिलेगा जहाँ बादल का सौदा जिस्म की ख़ातिर हुआ हो, वहाँ हर ओर दरिया प्यास का मारा मिलेगा - लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता ❤️🌻

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सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैं स्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैं बँधा हूँ, स्वप्न हूँ, लघु वृत हूँ मैं नहीं तो व्योम का विस्तार हूँ मैं . - रामधारी सिंह "दिनकर" 🌻

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हम जिएँ न जिएँ दोस्त तुम जियो एक नौजवान की तरह, खेत में झूम रहे धान की तरह, मौत को मार रहे बान की तरह। हम जिएँ न जिएँ दोस्त तुम जियो अजेय इंसान की तरह मरण के इस रण में अमरण आकर्ण तनी कमान की तरह! - केदारनाथ अग्रवाल 🌻

हम जिएँ न जिएँ दोस्त
तुम जियो एक नौजवान की तरह,
खेत में झूम रहे धान की तरह,
मौत को मार रहे बान की तरह।

हम जिएँ न जिएँ दोस्त
तुम जियो अजेय इंसान की तरह
मरण के इस रण में अमरण
आकर्ण तनी
कमान की तरह!

- केदारनाथ अग्रवाल 🌻
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जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है जो रवि के रथ का घोड़ा है वह जन मारे नहीं मरेगा नहीं मरेगा - केदारनाथ अग्रवाल

जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है

जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का घोड़ा है

वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा

- केदारनाथ अग्रवाल
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मन न मिला तो कैसा नाता चला अकेला ठोकर खाता - कृष्ण मुरारी पहारिया ❤️🌻

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मोड़ था कैसा तुझे था खोने वाला मैं रो ही पड़ा हूँ कभी न रोने वाला मैं . राजेन्द्र मनचंदा बानी 🌻