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फ़लाणाराम

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calendar_today10-05-2025 22:33:10

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पाई-पाई के साथ मिनिट-मिनिट का हिसाब रखना एक खूबसूरत बात होती है।

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सामान्यतः जब भी हम एक सामान्य सम्बन्ध को व्यक्तिगत बनाने का प्रयास करते हैं, उसका सौन्दर्य नष्ट हो जाता है।

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X पर दो किस्म की जनता है एक जो केवल धनार्जन के लिए कन्टेन्ट बना रही है और दूसरी जो कन्टेन्ट के लिए कन्टेन्ट बना रही है। पहले वाले अधिकतर केवल हमारा मन और समय बर्बाद कर रहे हैं।

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एक पति परमेश्वर अपनी गृहलक्ष्मी से कह रहे थे कि तुमने मुझे तुम कहकर कैसे बुलाया।

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वो कब तक सच बोलेगा जब तक- समर्थन बन्द न हो जाए; विरोध न चालू हो जाए; हमला न किया जाए; कैद न कर लिया जाए; सूली पर न चढ़ा दिया जाए?

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जब तुम चाटुकारिता करते हो तो आगे बढ़ने की गति तीव्र हो जाती है, और जब तुम्हारा सुर बग़ावती हो तो रास्ते में खाईयाँ खुद जाती है।

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जो लोग सच के नाम पर झूठ बोल पाने में जितने काबिल और मेधावी हैं वे सर्वाधिक सफ़ल लोग हैं।

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हमारी इन्द्रियाँ भोग का सांतत्य चाहती हैं- आँखों को कुछ देखते रहना है; कान संगीत में लिप्त होना चाहते हैं; जिव्हा सारा बाज़ार चाट लेना चाहती है; त्वचा स्पर्श सुख के लिए बेचैन है; और मन किसी अंतहीन वैचारिक दौड़ में है। और इस बीच तेज, शक्ति, आनन्द और शांति मरणासन्न पर हैं।

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कौआ क्या होता है- एक पक्षी जो कांव-कांव करता है? शायद नहीं! एक श्याम वर्ण का पंछी जो कांव-कांव की आवाज़ करता है उसको हिन्दी भाषा में कौआ नाम दिया गया है। अर्थ प्रधान है, अर्थ बिना शब्द के भी हो सकता है। इसलिए शायद पहले अर्थ समझना है, और फिर अर्थ से भाषा की यात्रा करनी है!

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सारे सोश्यल मीडिया के नोटिफिकेशन ऑफ करके चुपचाप बैठ जाओ, बाहर कहीं शांत ज़गह अकेले घूमो चार-पाँच घण्टे, माइंड हील करेगा। 🫂

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मित्रों, ये कोटेशन्स की कोई सीमा भी होती है क्या? या फिर ये कभी न खत्म होने वाली चीज़ है?

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कोई भी इंसान शायद समझदार,भोला, नौसिखिया, गहरा, उतावला, धैर्यवान सब एक साथ होता है। हर समय अलग-अलग भाव एक्टीवेट होता है।

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हम काफ़ी सरल पैदा होते हैं पर फिर इस जगत के बीसियों मुद्दों में बहुत उलझ जाते हैं और तब पुनः सुलझना हमारा जीवन लक्ष्य बन जाता है, जिसको शायद मुक्त होना कहते हैं।

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अगर किसी देर रात तुम्हें लगे कि ये निर्णय ले लेता हूँ चाहे वो निर्णय कोई सब्सक्रिप्शन खरीदना ही हो, तुम उसको अगले दिन की शाम के लिए पोस्टपोन्ड कर दो, बहुत बड़ी सम्भावना है कि तुम्हारा निर्णय बदल जाएगा। और अगर तुमने रात में ही उस निर्णय को एग्जीक्यूट कर दिया तो फिर अगले दिन

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हर सोशल मीडिया से हमारी कामना ये है कि हमारे नोटिफिकेशन सेक्शन में लगातार कुछ हलचल होती रहे। मुझे कारण नहीं समझ आ रहा, पर लग रहा है कि ये चीज़ हमारे ब्रैन पर कुछ तो नकारात्मक असर कर रही है।

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जो लोग सोश्यल मीडिया पर कूल लगते हैं, पर्सनल मुलाकात में गम्भीर हो जाते हैं, जबकि जो सोश्यल मीडिया पर सीरियस बातें करते हैं वो पर्सनली सच में कूल होते हैं :)

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हम में से अधिकांशत: लोगों के लिए सुबह उठते ही बीसियों काम सामने होते हैं, वही उनके लिए उनका जीवन है, जैसे- घर के फ़र्श पर धूल जमी है वो हटाकर साफ़ करना; कमरे अव्यवस्थित हैं उनको ठीक करना; जो वस्त्र मैले हो गए हैं उन्हें धुलना; तन की सफ़ाई; कुछ हल्के-फुल्के व्यायाम करना ताकि तन