गुरुदेवसियागसिद्धयोग
संजीवनीमंत्र राधाकृष्ण चेतन
बीजमंत्र
इसमें प्राण प्रतिष्ठा की हुई है
असंख्य ऋषियों की कमाई है
गुरुदेव की दिव्य वाणी में सुनने से,शक्तिपातदीक्षा सम्पूर्ण ब्रह्मांड में कहीं भी,जप व ध्यान से कुंडलिनीजागरण स्वास्थ्य शांति आनंद चेतना उत्थान
अष्टांगयोग सिद्धि
ॐ श्री गंगाई नाथ जी को नमन
समर्थ सदगुरू देव जी का वंदन
पतंजलि ऋषि ने जो योग सूत्र (फार्मूला) मानव के लिए लिपिबद्ध किया है उसमे उन्होने सावधानी भी बताई है ।गुर देव ने उसे मूर्त रूप (क्रियात्मक योग) दिया है ,जब पहले पहल इस मार्ग पर चलते हैं तो कई अवरोध भी आते हैं । व्याधि स्त्यान
**कैवल्य: योग के अंतिम लक्ष्य
योग के मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए "कैवल्य" एक महत्वपूर्ण और अंतिम लक्ष्य होता है। इसे आत्मा की परम स्वतंत्रता और पूर्णता की स्थिति माना जाता है।
**कैवल्य क्या है?**
योग शास्त्रों के अनुसार कैवल्य शब्द का अर्थ है "अकेलापन" या
ॐ श्री गंगाई नाथ जी के पावन चरणों में
समर्थ सदगुरू देव श्री राम लाल सियाग जिन्होने मानवता के उस भाव को प्रकाशित किया जिस पर बाते कथा कहानी उपाय शोर गुल बहुत कुछ किया गया और किया जा रहा है,योग को योगा कह कर शारीरिक कसरत कर लोग अपने को भ्रमित ही कर रहे हैं, योग का सीधा सा
#सगुण साकार
#निर्गुण निराकार
एक ही जन्म दोनों सिद्धि
मानवता में #सतोगुण का उत्थान #तमोगुण का पतन करने हेतु
कुंडलिनी जागरण
घर बैठे संजीवनी मंत्र सुनकर दीक्षा ले कर जप ध्यान कर स्वचलितयोग
गुरुदेवसियाग सिद्धयोग से चेतना उत्थान पूर्णविकास दिव्य रूपांतरण आत्मसाक्षात्कार अष्टांगयोग